फसल की गिरदावरी -भारत के किसानों को हमेशा अपनी फसल को लेकर चिंता सताती रहती है क्योंकि भारत के किसानों के पास फसल मुख्य आमदनी के रूप में होती है अगर वह खराब या नष्ट हो जाती है तो उनके आमदनी में रुकावट पैदा हो जाती है इसलिए सरकार के द्वारा फसल का बीमा या गिरदावरी की जाती है जिससे सरकार किसानों को मुआवजा प्रदान करके आर्थिक सहायता दे सके। किसानों के लिए अपनी फसल की गिरदावरी करना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि खराब मौसम, बाढ़, सूखा या ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसल खराब होने पर सरकार से मुआवजा लेने के लिए किसानों को अपनी फसल की गिरदावरी करना आवश्यक होता है भारत में फसल की गिरदावरी साल में दो बार रबी (November – March) और खरीफ (August – October) सीजन की जाती है। इस लेख में गिरदावरी कैसे करें अपने मोबाइल फोन से के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है आर्ट कृपया आर्टिकल को ध्यान पूर्वक पड़े|
गिरदावरी क्या है?
गिरदावरी एक सरकारी प्रक्रिया है जिसमें राजस्व अधिकारी या पटवारी आकर किसानों की फसल का निरीक्षण करते हैं की किस ने कौन सी फसल वही है और उसकी स्थिति क्या है इसको राज्य सरकार के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है आगे चलकर फसल खराब होने पर मुआवजा इसके आधार पर मिलता है
आज कुछ राज्य सरकार के द्वारा इसको ऑनलाइन कर दिया गया है जिसके द्वारा किसान अपने मोबाइल के द्वारा अपनी खुद की फसल की गिरदावरी कर सकते हैं
गिरदावरी कब होती है ?
भारत में गिरदावरी साल में दो बार की जाती है
- रबी सीजन (November – March) – मुख्य रूप से गेहूं, चना, सरसों जैसी फसलों के लिए।
- खरीफ सीजन (August – October) – धान, बाजरा, मक्का, कपास जैसी फसलों के लिए।
गिरदावरी क्यों जरूरी है?
- प्राकृतिक आपदा ( बाढ़, सूखा) या किसी बीमारी से फसल खराब होने पर मुआवजा पाने के लिए
- फसल बीमा योजना का लाभ पाने के लिए
- सरकारी सब्सिडी और योजनाओं का फायदा लेने के लिए|
गिरदावरी गिरदावरी कौन-कौन से किस कर सकते हैं।
- जिनके नाम पर जमीन है और वे खुद खेती कर रहे हैं
- अगर किसान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना या अन्य राज्य स्तरीय बीमा योजना ली है, तो गिरदावरी कराना अनिवार्य है। तभी बीमा क्लेम और मुआवजा मिलेगा
- जिनका नाम राज्य सरकार के किसान रजिस्टर/PM-Kisan या अन्य कृषि पोर्टल पर दर्ज है
- अगर कोई किसान जमीन किराए पर लेकर खेती कर रहा है, तो वह भी गिरदावरी करा सकता है। लेकिन इसके लिए पट्टे का एग्रीमेंट या जमीन मालिक की सहमति जरूरी होती है
गिरदावरी से मुआवजा कब और कैसे मिलेगा ?
- अगर आपकी फसल खराब हो जाती है किसी कारणवश और अपने गिरदावरी करवा रखी है तो किसान अपनी फसल के मुआवजा के लिए आवेदन कर सकता है
- आवेदन करने के लिए किस के पास जिस फसल की गिरदावरी की है वह उसे खेत में और वह फसल गिरदावरी में दर्ज होनी अनिवार्य है
- अपने खसरा नंबर और जमीन के दस्तावेज हमेशा अपडेट रखें|
गिरदावरी Online कैसे करे?
गिरदावरी Online Mobile Phone से
ऑनलाइन गिरदावरी करने के लिए विभिन्न राज्यों के अपने-अपने App या वेबसाइट है हम यहां पर उदा. के लिए राजस्थान की वेबसाइट ले रहे हैं
- सबसे पहले राजस्थान की ऑफिशल वेबसाइट पर जाएं या Raj Kisan Girdawari को डाउनलोड करें|
- राज किसान गिरदावरी ऐप डाउनलोड करने के बाद में इसको जन आधार कार्ड के नंबर से लॉगिन करें|
- लॉगिन करने के बाद में आपको अपने जिले को चुने।
- फिर आपको अपने खसरा नंबर डालकर सर्च करें
- फिर मांगा गया फसल का विवरण भरे
- विवरण बनने के बाद में सबमिट कर दे
निष्कर्ष
किसान की मेहनत फसल तक सीमित नहीं रहती, बल्कि उसका असली फल तब मिलता है जब सरकार और व्यवस्था भी उसके साथ खड़ी हो। गिरदावरी सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह किसानों की मेहनत की सुरक्षा ढाल है। मौसम चाहे कैसा भी हो, प्राकृतिक आपदा कितनी भी बड़ी क्यों न आए, अगर गिरदावरी समय पर हुई है तो किसान को उसका हक़ – यानी मुआवजा और बीमा – जरूर मिलेगा
गिरदावरी और मुआवजा से जुड़े F&Q
Q. गिरदावरी क्या होती है?
Ans. गिरदावरी एक सरकारी प्रक्रिया है जिसमें खेत और फसल का विवरण अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाता है।
Q. क्या किरायेदार किसान भी गिरदावरी करा सकता है?
Ans. हाँ, लेकिन शर्त यह है कि पट्टे का एग्रीमेंट या भूमि मालिक की अनुमति होनी चाहिए।
Q. गिरदावरी कब करनी होती है?
Ans.साल में दो बार रबी (November – March) और खरीफ (August – October) सीजन की जाती है
Q. अगर गिरदावरी न कराएं तो क्या होगा?
Ans. फसल खराब होने पर किसान को मुआवजा या बीमा क्लेम नहीं मिलेगा।
Q. . गिरदावरी कराने से क्या फायदा है?
Ans. फसल बीमा, मुआवजा और सरकारी योजनाओं का लाभ तभी मिलेगा जब गिरदावरी दर्ज हो।
Q. गिरदावरी ऑनलाइन कैसे करें?
Ans. कई राज्यों ने ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं, जहां किसान CSC सेंटर या मोबाइल से आवेदन कर सकते हैं।
Q. गिरदावरी के लिए किन दस्तावेज़ों की जरूरत होती है?
Ans. खसरा नंबर, जमीन का विवरण, पहचान पत्र और बैंक खाता विवरण।
Q. मुआवजा कब मिलता है?
Ans. फसल खराब होने की रिपोर्ट बनने और जांच पूरी होने के बाद राशि सीधे किसान के बैंक खाते में भेजी जाती है।